अश्वगंधा की खेती से पैसे कैसे कमायें | Ashwagandha Ki Kheti Se Paise Kaise Kamaye

नमस्कार दोस्तों ! पैसे कैसे कमायें ब्लॉग में आपका स्वागत है. जैसा कि आप जानते हैं की हम अपने ब्लॉग में आपको पैसे कमाने के शानदार तरीके बताते रहते हैं. आज की पोस्ट “अश्वगंधा की खेती से पैसे कैसे कमायें | Ashwagandha Ki Kheti Se Paise Kaise Kamaye” में हम आपको अश्वगंधा की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं.

दोस्तों आपने औषधि के पौधों के बारे में अवश्य सुना होगा। इनमें से एक अश्वगंधा का पौधा होता है। आज हम उसी के बारे में बात करने वाले हैं। और बताने वाले हैं। अश्वगंधा की खेती कैसे करते हैं। और कितना मुनाफा होगा और कितनी लागत आएगी आज हम अश्वगंधा की खेती के बारे में विस्तार से बात करने वाले हैं अगर आप भी आर्थिक स्थिति से कमजोर हैं। और एक अच्छा बिजनेस नहीं कर सकते तो हम आज आपके लिए एक ऐसी खेती लेकर आए हैं। जिसे आप आसानी से कर सकते हैं। और लाखों रुपए भी कमा सकते हैं।

दोस्तों आज हमारे बहुत सारे किसान भाई अश्वगंधा की खेती करके लाखों रुपए कमा रहे हैं। इसकी खेती करके आप लागत से कई गुना अधिक मुनाफा कमा पाएंगे और अगर आप भी घर बैठे अच्छी कमाई का जरिया तलाश रहे हैं। तो आज का लेख आपके लिए ही है। इस लेख को आप ध्यान पूर्वक पूरा पढ़ें।

अश्वगंधा की बाजार में इतनी अधिक मांग क्यों है | Demand of Ashwagandha

दोस्तों आज हालात इतने नाजुक हो चुके हैं। देसी के हर एक नागरिक स्वास्थ संबंधित और छोटी बड़ी बीमारियों से लड़ रहे हैं। आप सभी को दवाइयों के लिए अधिक पैसा खर्च करना पड़ रहा है। इसीलिए ज्यादा अधिक पैसा ना खर्च करके सर्वप्रथम औषधि युक्त को करने की प्राथमिकता दे रहे हैं। और ऐसे में अश्वगंधा अपने आप में ही एक काफी ज्यादा स्वास्थ्य वर्धक औषधी गुण वाला एक पौधा है। इसी वजह से अश्वगंधा की बाजार में इतनी अधिक मांग बढ़ती जा रही है।

अश्वगंधा की खेती | Ashwagandha Farming in India Hindi | Ashwagandha Ki Kheti 

अश्वगंधा की खेती भारत में लगभग हर जगह होती है। अगर हम हेक्टेयर में बात करें तो 10000 से 11000 हेक्टेयर लगभग अश्वगंधा की खेती भारत में इस समय की जा रही है। और इससे हर साल लगभग 7000 से 8000 टन तक जड़ का उत्पादन होता है।

अश्वगंधा की खेती भारत में गुजरात उत्तर प्रदेश बिहार राजस्थान जैसे राज्यों में अधिक की जा रही है। यहां पर लोग बहुत पुराने समस्या अश्वगंधा की खेती लगातार करती आ रहे हैं। अगर हम नवीन क्षेत्रों की बात करें तो इसमें तेलंगाना आंध्र प्रदेश असिंचित क्षेत्रों में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है।

अश्वगंधा की खेती किसानों के लिए महत्वपूर्ण | Ashwagandha Himalaya Benefits in Hindi

दोस्तों कैंडी औषधि एवं संगध पौधा संस्थान के लखनऊ में कृषि विज्ञानिक और मृदा वैज्ञानिक देवेंद्र कुमार बताते हैं। कि वर्तमान समय में पारंपरिक खेती में हो रहे नुकसान को देखते हुए अश्वगंधा की खेती किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित होगी।

दोस्त आपको यह जानकर खुशी होगी कि अश्वगंधा एक बहूवर्षी पौधा है। तथा यदि इसके लिए निरंतर सिंचाई की जाती रहे तो या कई वर्षों तक रह सकता है। और इसकी फसल 6 से 7 माह की अवधि में ली जा सकती है।

अश्वगंधा की खेती कैसे करें | Ashwagandha Ki Kheti Kaise Kare

अश्वगंधा एक खरीफ की फसल है। गर्मी के मौसम में वर्षा शुरू होने के समय इसको लगाया जाता है। इसकी अच्छी फसल के लिए जमीन में अच्छी नमी व मौसम शुष्क होना अति आवश्यक होता है। फसल सिंचित व असिंचित दोनों दशाओं में की जा सकती है।

रवि के मौसम में यदि वर्षा हो जाए तो फसल में गुणवत्ता सुधार हो जाता है। अश्वगंधा की खेती सभी जमीन में की जा सकती है। आराम से अश्वगंधा की खेती के लिए सबसे उपयुक्त बालवी दोमट और लाल मिट्टी होती है। यह इसी प्रकार की मिट्टी में बोया भी जाता है।

आपके मिट्टी का पीएच मान लगभग 7.5 से लेकर 8 के बीच तो होना ही चाहिए अगर आप अश्वगंधा की खेती वैज्ञानिक विधि के अनुसार करते हैं। तो आपको अधिक मुनाफा भी होग इसलिए खेती करने से पहले आप अपनी मिट्टी की जांच जरूर कर लेना चाहिए।

ज्यादातर देखा गया है। कि गर्म प्रदेशों में अश्वगंधा के पौधों की बुवाई करना अधिक आसान होता है। और पैदावार भी अच्छी होती है।

अश्वगंधा की खेती करने के लिए 25 से लेकर 30 डिग्री तक का तापमान होना चाहिए जिससे आपका पौधे अच्छी तरह से विकास कर सकें।

अश्वगंधा की खेती करने के लिए 500 से लेकर 750 मिलीलीटर की वर्षा होनी बहुत आवश्यक होती है।

अश्वगंधा का पौधा अच्छी तरीके से बढ़ सके इसके लिए आपको खेत में बराबर नवी बरकरार रखनी होगी और शरद ऋतु के दौरान 1 से 2 वर्ष में इस पौधे की जड़े का अच्छी तरीके से विकास हो पाता है।

दोस्तों अगर आप चाहो तो पर्वतीय क्षेत्रों के कम उपजाऊ भूमि में भी अश्वगंधा की खेती करके अच्छी कमाई कर सकते हैं। क्योंकि इसकी खेती कम उपजाऊ जमीन वाले क्षेत्रों में भी हो जाती है।

अगर आप अश्वगंधा की खेती करने के लिए इच्छुक हैं। तो आपके लिए सबसे अच्छा महीना अगस्त का होता है। अश्वगंधा की खेती करने के लिए आपको कम से कम दो बारिशों का अच्छा इंतजार करना होगा जिससे जमीन में अच्छी नमी आ सके फिर उसके बाद में खेतों को दो बार अच्छे से जुताई कर लेना है। उसके बाद खेत में दो बार पाटा लगा लेना है। जिससे खेत समतल हो सके और पानी एक जगह ना रुके और ध्यान रखना है खेत की जुताई के समय उसमें जैविक खाद का भी इस्तेमाल करना होगा जिससे जमीन अच्छी उपजाऊ बन जाती है। अश्वगंधा की खेती करने के लिए आपको एक हेक्टेयर में लगभग 10 से 12 किलो बीज मात्रा में सही रहता है।
अश्वगंधा का अंकुरण 7 से लेकर 8 दिनों के भीतर ही दिखाई देने लग जाता है। और लगभग 8 महीनों से लेकर 12 महीनों के बीच में इसकी बीच का जमाव 78 से 80% तक पूरा हो जाता है।

अश्वगंधा की किस्मे | Ashwagandha ka Paudha Kaisa Hota Hai | Ashwagandha ka fal kaisa hota hai

अश्वगंधा का पौधा 3 से 4.5 फीट तक ऊंचा हो सकता है। और इसकी पत्तियों का रंग हल्का हरा होता है . यह पत्तियां 10से 12 सेंटीमीटर लंबी होती हैं। अश्वगंधा के पौधे से हरे रंगे के छोटे – छोटे फूल निकलते हैं। अश्वगंधा के फल का रंग चटक या लाल-नारंगी होता है. और यह फूल पतले सफेद और भूरे छिलके के अंदर होता है। अश्वगंधा के फल के अन्दर छोटे-छोटे, चपटे, सफेद और ब्राउन रंग के अश्वगंधा के बीज होते है।

  • डब्लू एस 20 (जवाहर )डब्लू एस आर
  • जवाहर। अश्वगंधा 20 उसी
  • जवाहर अश्वगंधा 134 ये किस्मे मुख्य हैं।

अश्वगंधा के लाभ। Ashwagandha benefits in Hindi | Ashwagandha ke Fayde 

  • अश्वगंधा जा प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत तथा कंट्रोल की मात्रा को कम करता है।
  • अश्वगंधा की मदद से रक्त में शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में मदद करत
  • निष्क्रिय थायराइड को जगाने का काम रहता है।
  • सूजन और दर्द को कम करना तथा मांसपेशियों व शरीर में फुर्ती लाने का भी काम करता है।
  • स्वास्थ्य प्रजनन क्षमता को बढ़ावा देता है

अश्वगंधा की बुवाई के दो तरीके। Ashwagandha Cultivation Types | Ashwagandha Ki Kheti Ke Prakar

पहली विद कतार विधि होती है जिसमें पौधे से पौधे की दूरी 5 सेंटीमीटर और लाइन से लाइन की दूरी 20 सेंटीमीटर होती है।

छिड़काव विधि

यू रेत में मिलाकर इसकी बीज को खेत में छिड़काव कर सकते हैं। और 1 वर्ग मीटर जमीन से लगभग 30 से 40 पौधे आराम से मिल जाएंगे।

खरपतवार नियंत्रण।

अश्वगंधा की अच्छी उपज पाने के लिए समय-समय पर खत्म खरपतवार नियंत्रण करे जिससे जड़े अच्छे पारकर से विकसित हो सके इसके लिए 25 से 30 दिन बाद खुरपे से निकाई कर ले और 40 से 45 दिन बाद गुड़ाई कर ले इससे लगभग 60 पौधे प्रति वर्गमीटर यानी 6 लाख पौधे अनुसुरक्षित हो जाते हैं। अगर दो या उससे अधिक पौधे हों तो उसकी छाटाई भी कर दें।

अश्वगंधा की खेती में उवर्क का प्रयोग कैसे करें | Ashwagandha Ki Kheti Me Fertilizer

बुवाई से पहले ही प्रति हेक्टेयर 5 ट्राली गोबर की खाद या कंपोस्ट खाद 15 किलोग्राम नत्रजन 15 किलोग्राम फास्फोरस छिड़काव अच्छी तरीके से कर ले।

अश्वगंधा के पौधे की कटाई करने का सही समय | Ashwagandha Plant Cutting

अश्वगंधा की कटाई जनवरी से लेकर मार्च महीने तक की चलती रहती है। इसके पौधों को जड़ से उखाड़ जाता है। और पौधों को जड़ से अलग करने के कार्य किया जाता है इसके जड़ के छोटे-छोटे टुकड़े को धूप में सुखाया जाता है। इस अश्वगंधा के फल के बीज और उसके सूखे पत्तों को अलग कर दिया जाता है। साधारण तौर पर अश्वगंधा 60 से 800 किलो ग्राम जड़ और 50 किलोग्राम बीज एक हेक्टेयर से होने की संभावना रहती है।

अश्वगंधा की खेती से कितीं होगी कमाई | Ashwagandha Ki Kheti Se Paise Kaise Kamaye

अगर आप एक हेक्टेयर से अश्वगंधा की खेती करते हैं। तो आप का लगभग 10000 रूपए खर्च आता है। जबकि 1 एकड़ में 5 क्विंटल जड़ों तथा बीज का वर्तमान विक्रय मूल्य लगभग 78,750 से होता है। एक हेक्टेयर भूमि में की खेती करके आप शुद्ध लाभ 60,750 रुपए कमा लेते हैं। और अगर आप की फसल अच्छी है और अच्छी उन्नत किस्में लगा राखी हैं। तो यह लाभ और भी बढ़ जाता है।

निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको कृषि आधारित एक और बिजनेस या व्यवसाय की जानकारी दी  है | आज हमने आपको बताया है की अश्वगंधा की भारत में खेती करके लाखों कैसे कमा सकते हैं |

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Jitendra Arora
Jitendra Arora

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जितेन्द्र अरोरा है. और में पैसे कैसे कमायें ब्लॉग का फाउंडर हूँ. मुझे कंप्यूटर और इन्टरनेट से जुड़े हुए 20 साल से ज्यादा हो गए हैं. मैंने कंप्यूटर हार्डवेयर और नेटवर्किंग में डिप्लोमा किया हुआ है. मैंने अपने 23 साल के अनुभव से बहुत कुछ सीखा है. और मैं चाहता हूँ कि अब अपना अनुभव लोगों के साथ शेयर किया जाए. इसीलिए इस ब्लॉग के माध्यम से आपको सारी जानकारी देनी की कोशिश करता हूँ. मेरा उद्देश्य हैं की लोग हमारे ब्लॉग से सीखकर अपने पैरों पर खड़े हो सके. इस ब्लॉग में सभी जानकारी हिंदी में दी जाती है. जिससे आप सभी अपनी भाषा में सीख सके.

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