नमस्कार दोस्तों ! पैसे कैसे कमाए ब्लॉग में आपका फिर से स्वागत है | आज हम आपके लिए खेती से ज्यादा पैसे कमाने का एक शानदार तरीका लेकर आये हैं | गाँव में पैसा कैसे कमायें का जवाब ढूंढ रहे लोगों के लिए आज की पोस्ट बहुत काम आ सकती है | आज की पोस्ट “नई तकनीक की खेती से पैसे कैसे कमाए | Nai Taknik Ki Kheti Se Paise Kaise Kamaye” में हम आपको बतायंगे कि एक गुजराती कृषक ने कैसे गोमूत्र तथा हल्दी के उपयोग से कृषि का एक नया एवं सफल नमूना तैयार किया है। जिसे सीखने को भारत आते हैं विदेशी कृषक |
Table of Contents
क्या है कृषि का नया नमूना | New Farming Formula | Nai Taknik Se Kheti
इस पद्धिति में सर्व प्रथम कृषी क्षेत्र के चारो ओर आम, कटहल ,नीम इत्यादि बड़े वृक्ष लगाने होते हैं | इसके पश्चात् लगभग एक एकड़ भूमि में पचास लीटर गौ का मूत्र तथा दस लीटर कैस्टर के तेल का मिश्रण बनाकर डालना होता है। एवं इसी हिसाब से अधिक भूमि के लिए अधिक मिश्रण का उपयोग करना होता है । वर्तमान समय में कृषि कार्य भी कृषकों के लिए चुनौती बन चुका है। क्योंकि किसी भी फसल की कृषि करने में उसके लिए खाद कीटनाशक खरपतवार नाशक इत्यादि अलग-अलग प्रकार के रासायनिक पदार्थों का उपयोग करना होता है। और इस प्रकार कृषि करने में खर्च अत्यधिक बढ़ जाता है। किंतु आज हम ऐसे पद्धति के विषय में जानेंगे इस लेख में।जिसमें कृषि कार्य में किए जाने वाले निवेश को 80% तक घटाया जा सकता है।हम जानेंगे कि कैसे इस पद्धति के द्वारा कृषि में कम लागत पर अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। इस पद्धति का नाम क्या है आदि सभी बातें।
यह कौन सी विधि है | Method of New Farming | Kheti Me Paise Kaise Kamaye
हम जिस पद्धति के विषय में चर्चा कर रहे हैं इसे गौ आधारित कृषि पद्धति के नाम से जाना जाता है। इस विधि के द्वारा कृषि कार्य में आने वाले खर्च में 80% तक की कमी आती है। इसके साथ ही इसकी एक विशेषता यह भी है कि खर्च में कमी आने के उपरांत भी फसल के उत्पादन में कोई कमी नहीं आती। इस पद्धति को पूर्णतः लाभप्रद सिद्ध करने के लिए गुजरात के सूरत शहर में रहने वाले कृषक अश्विन नारिया जी ने इसे उपयोग में लाया। वे एक कृषक के अतिरिक्त कृषि संबंधित सलाहकार भी हैं।एवं इस विधि से उन्होंने इतना लाभ प्राप्त किया।कि अब अन्य-अन्य कृषकों ने भी उनसे सीख कर इसका खूब लाभ उठाने लगे हैं। एवं अब तो उनसे इसे सीखने हेतु विदेश से भी अनेकों कृषक आने प्रारंभ हो गए हैं। इस विधि में केवल गायों से प्राप्त होने वाले पदार्थ दूध गोबर गोमूत्र इत्यादि का प्रयोग किया जाता है। और इसलिए इस विधि का नाम गौऊ आधारित कृषि विधि रखा गया है।द बेटर इंडिया के द्वारा दी गई जानकारी से इसका पता चलता है कि अश्विन नारिया जी लगभग 20 वर्षों से कृषि की ऐसी विधियों पर शोध कर रहे थे। एवं उन्हीं 20 वर्षों में उन्होंने गौ पर आधारित पंच संस्कारों पर भी शोध किया। एवं उन सोधों की वैज्ञानिकों द्वारा भी पुष्टि की गई है। जिसमें उत्तम परिणाम की प्राप्ति हुई है।
ये गौ आधारित पंच संस्कार क्या हैं | Cow Based Farming
अश्विन जी के बताए अनुसार प्राकृतिक ढंग से बीजों वनस्पतियों कृषि स्थल (जमीन) जल तथा हवा को स्वच्छ करने तथा उनकी क्षमता एवं ऊर्जा को बढ़ावा देने की प्रक्रिया को पंच संस्कार विधि कहते हैं। इन पांचों को बारी-बारी से स्वच्छ किया जाता है।इससे फसलों के उत्पादन में अच्छा प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं इसकी पूरी प्रक्रिया को।
1. भूमि संस्कार:-
इसमें सबसे प्रथम बारी आती है भूमि की इसके लिए सर्वप्रथम भूमि के चारों ओर बड़े-बड़े वृक्ष लगाने होते हैं जैसा कि हमने ऊपर ही इसके विषय में जाना। यह ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि कृषि करने वाले क्षेत्र में एक अच्छा पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण हो सके।उसके पश्चात गोमूत्र तथा कैस्टर के तेल का मिश्रण भूमि में डाला जाता है। जिससे मिट्टी की उर्वरकता में बढ़ोतरी होती है। उसके पश्चात गाय के गोबर से बने कंडों की राख को भूमि में छिड़का जाता है। गोबर से बने कंडों में गोबर की अपेक्षा और भी अधिक ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है। गाय के कंडों में 54% तक ऑक्सीजन पाया जाता है।
2. बीजों के संस्कार:-
फिर इसके पश्चात बारी आती है बीजों के संस्कार की इसे हम बीजोपचार की प्रक्रिया भी कहते हैं। इसके लिए बीजों को खेतों में लगाने से पूर्व 10 लीटर जल, लगभग 1 किलोग्राम गौ के गोबर,100 ग्राम गाय का दूध, 1 लीटर गोमूत्र,50 ग्राम चुना तथा 100 ग्राम हल्दी इन सभी सामग्रीयों का मिश्रण तैयार करके इनमें बीजों को 24 घंटे तक डालकर छोड़ दिया जाता है। उसके पश्चात बीजों को निकालकर ठंडी छांव में सुखाया जाता है। फिर इसे खेतों में बोया जाता है।
3.पानी का संस्कार:-
कृषि कार्य में उपयोग किए जाने वाले जल के पी एच मान को सही रखने के उद्देश्य से उसमें कुशा की घास का इस्तेमाल करना होता है।
4.वनस्पति संस्कार:-
इस संस्कार में कुछ ऐसे प्रयोग करने होते हैं ।जिससे कि कीट पतंगों एवं फसल में होने वाले रोगों से फसलों की रक्षा हो सके। इसके लिए लगभग ढाई सौ ग्राम गौदूग्ध तथा एक सौ ग्राम गुङ को 15 लीटर जल में मिलाकर खेतों में छिड़का जाता है।और भी अन्य कीटनाशक इसी प्रकार से जैविक विधि द्वारा बनाई जाती है।
5. वायु संस्कार:-
आज के प्रदूषण वाले वक्त में अपनी कृषि क्षेत्र के वायु को शुद्ध करने हेतु ।अश्विन नारिया जी अपने खेत में हवन किया करते हैं। जिसे करने के लिए गायों के कंडे तथा घी का उपयोग किया जाता है। इससे वायु में पवित्रता आती है। एवं वे तो इतना तक बताते हैं कि हवन के धूएं में 108 प्रकार की गैसें पाई जाती है। जिससे वायु में उपस्थित अनेकों प्रकार के बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं।
कौन हैं अश्विन नारिया
अश्विन नारिया जी ने एग्रीकल्चर के विषय में बीएससी की डिग्री प्राप्त किया है। कृषि के विषय में हरदम नए शोध करते रहने के कारण ।इनको गुजरात के (chamber of commerce )चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से पुरस्कृत भी किया जा चुका है। एवं यह वर्ष भर अपने खेतों में कुछ- कुछ सब्जियां इत्यादि उपजाते ही रहते हैं। एवं इसी प्रकार से वे अपने 4 एकड़ की भूमि में 39 प्रकार की सब्जियां उपजाते हैं।
निष्कर्ष
दोस्तों आज की पोस्ट “नई तकनीक की खेती से पैसे कैसे कमाए | Nai Taknik Ki Kheti Se Paise Kaise Kamaye” में हमने आपको खेती करने का एक स्वदेशी तरीका बताया है | इस तरीके को सीखने के लिए विदेशी लोग भी आते हैं | अगर अप गाँव में रहकर खेती से पैसा कमाना चाहते हैं तो यह फार्मूला आपके बहुत काम आ सकता है |
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