Business Stevia in Hindi : 1 एकड़ ज़मीन पर खेती करके कैसे कमायें लाखों

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नमस्कार दोस्तों ! पैसे कैसे कमायें ब्लॉग में आपका फिर से स्वागत है | आज हम फिर आपके लिए पैसे कमाने का एक और शानदार तरीका लेकर आये हैं |  गाँव में रहने वाले लोगों के लिए तो यह वरदान साबित हो सकता है | जो लोग गाँव में पैसे कैसे कमायें का मौका देख रहे हैं उनके लिए आज की पोस्ट बहुत काम आ सकती है | आज हम आपको कृषि से सम्न्धित एक फ़सल “Stevia Sugar Farming” के बारे में बतायंगे जिससे आप 1 एकड़ से ही लाखों रुपये कमा सकते हैं |

Business Stevia in Hindi

Table of Contents

मीठी तुलसी एक बार लागों, 5 वर्ष तक कमाओ (Stevia Farming in Hindi)

मात्र 1 एकड़ के क्षेत्र में उपजा कर जिसकी कृषि के द्वारा ₹600000 तक कमाए जा सकते हैं। वह एक औषधीय पौधा ‘स्टीविया’ है। इसे हम मीठी तुलसी भी कह सकते हैं। जिसके विषय में हम आज के इस लेख में विस्तार से जानेंगे। इस पौधे को लगाने के लिए इसकी 15 सेंटीमीटर लंबी-लंबी कलमें काटकर प्लास्टिकों के कैरी बैग्स में लगाकर। पहले से तैयार कर लेना होता है इसके पश्चात इसे तरीके से खेतों में लगाना होता है। एवं इसकी कृषि के लिए आपको 20 से 25 टन गोबर खाद खेतों में डालने की आवश्यकता होती है। अथवा प्रति एकड़ 7 से 8 टन केंचुआ खाद डालने होते हैं। एवं इसे एक बार लगा देने के पश्चात 5 वर्षों तक इससे लाभ लिया जा सकता है। अनाज इत्यादि की पारंपरीक कृषि को छोड़कर। यदि कोई नकद कृषि करना चाहते हैं। तो स्टीविया की कृषि वर्तमान समय में काफी लाभपूर्ण है। एवं इस पौधे की खास बात यह है कि इसकी कृषि में ।आपको किसी भी प्रकार के रासायनिक खाद के उपयोग की आवश्यकता नहीं पड़ती। एवं इसकी फसल को किसी भी प्रकार के कीड़े नहीं लगते।

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क्या है यह स्टीविया (Stevia Meaning in Hindi)

यह स्टीविया सूर्यमुखी, मीठी तुलसी तथा अन्य 240 प्रकार की औषधियों की प्रजाति में से एक है। तथा यह भी अपने भीतर कई औषधीय गुणों को समेटे हुए है। इसके साथ ही इसके स्वाद में भी चीनी की तुलना में 25 से 30 गुना अधिक मिठास होता है। एवं कई बार इसके अंशों में हल्का कड़वापन भी देखने को मिलता है। तथा इस का हिंदी नाम मीठी तुलसी भी है।

क्यों है स्टीविया इतना खास क्या महत्त्व है इसका (Mithi Tulsi Ka Mahetva)

स्टीविया एक औषधीय पौधा है एवं इसका महत्त्व इतना इसके मिठास की प्रवृत्ति के कारण है। यह सामान्य शक्कर से भी लगभग 30 गुना अधिक मीठा होता है। इसके पौधे लगभग 65 से 70 सेंटीमीटर तक लंबे होते हैं। एवं मीठा होने के साथ-साथ इसकी विशेषता यह है कि इसमें कैलोरी की मात्रा बिल्कुल नहीं पाई जाती।

इसकी कृषि के संबंध में आवश्यक बातें (Stevia Ki Kheti)

इसकी कृषि के लिए जैसा कि हमने आपको ऊपर ही बताया केंचुआ खाद या सङे गोबर की खाद डालने होते हैं। तथा 60: 60 के हिसाब से फास्फोरस एवं पोटैशियम खेतों में मिलाने चाहिए।एवं तीन बार 120 किलो नाइट्रोजन मिलाने चाहिए। इसमें किसी भी रासायनिक खाद की उपयोग की कोई आवश्यकता नहीं होती। इस पौधे के रोपण का कार्य पूरे वर्ष में मात्र जून और दिसंबर महीने के अतिरिक्त किसी भी मास में कर सकते हैं। इसकी बुवाई के पश्चात प्रत्येक 3 मास पर इसकी कटाई कर के लाभ उठाया जा सकता है। 1 एकड़ भूमि में स्टीविया के 40000 पौधे लगाए जा सकते हैं। इसे लगाने में लगभग ₹100000 तक का खर्च करना होता है। एवं इसका एक पौधा लगभग ₹140 तक की आमदनी प्रदान कर सकता है। प्रत्येक वर्ष इसके ऊपर की मात्रा भी बढ़ती है। जिसके कारण प्रथम वर्ष में लगभग दो से ढाई टन प्रति एकड़ फसल की उपज होती है। एवं उसके पश्चात आगे के वर्षों में इस उपज की मात्रा बढ़ कर 4 से 5 टन प्रति एकङ हो जाती है। इस हिसाब से प्रथम के वर्ष में लगभग ढाई लाख रुपए से ₹300000 तक की कमाई हो सकती है। किंतु उसके पश्चात दूसरे वर्ष से 5.5 लाख से 6.5 लाख रुपए तक की कमाई हो सकेगी।

इसके सिंचाई करने का तरीका (Farming of Stevia Leaf)

स्टीविया कृषि में जानकारों द्वारा यह सलाह प्रदान की जाती है। कि इसे बोने के तुरंत पश्चात एक बार सिंचाई करनी चाहिए। इसके पश्चात पौधों को स्थापित होने में लगभग 5 से 7 दिनों का समय लगता है। अतः इसलिए पौधों के भली-भांति स्थापित हो जाने के पश्चात। यानी कि 5-7 दिनों के पश्चात पुनः सिंचाई की आवश्यकता होती है। फिर आप इसके पश्चात से मॉनसून के आरंभ होने तक 1 सप्ताह के अंतर में भी सिंचाई कर सकते हैं। परंतु गर्मियों के मौसम में पौधों को गर्मी की मार से झुलसने से बचाने के लिए लगभग प्रतिदिन ही सिंचाई करना होता है।

कृषि के लिए कैसी जलवायु उपयुक्त है (Stevia Ki Kheti Kahan Kare)

स्टीविया की कृषि के लिए संशीतोष्ण जलवायु अधिक लाभकारी होती है। यह 10से 41 डिग्री सेल्सियस तक के जलवायु में अधिक अच्छी तरह बांधा की सहायता के बगैर ही उपजाया जा सकता है। किंतु तापक्रम इससे नीचे या ऊपर की ओर भागता है तो इससे फसल को बचाने हेतु कुछ व्यवस्थाएं करनी होती है। एवं इन बातों का ख्याल रखते हुए कृषकों को स्टीविया के उसी प्रकार का चयन करना चाहिए। जो अधिक गर्मी में भी उगाए जा सकें इसके साथ ही यदि स्टीविया के फसलों को भुट्टे अथवा जेट्रोफा के फसलों के मध्य रोपित किया जाए ।तो भी गर्मी से इसकी रक्षा हो सकती है। एवं इसके लिए यदि उपयुक्त भूमि की चर्चा करें तो ऐसी भूमि जिसमें सरलता से जल निकास हो सके। बलुई मिट्टी वाली भूमि या दोमट मिट्टी वाली भूमि इन फसलों के लिए काफी अच्छी मानी जाती है।

बाजारों में स्टीविया की मांग (Stevia Plant Price in Market)

स्टीविया के सूखे पत्तियों की बिक्री बाजारों में की जाती है। और इसलिए एक हेक्टेयर की उपज से लगभग 3.5 टन तक इसकी सूखी पत्तियां प्राप्त हो सकती है। एवं बाजारों में इसके पत्तियों की मांग काफी है। तथा इसके सूखी पत्तियां 100 -150 रुपए प्रति किलो के हिसाब से खरीदी जाती है।

स्टीविया का औषधीय महत्व (Benefits of stevia plant)

भारत में आयुर्वेद का प्रचलन बहुत ही पुराना है। एवं अभी भी कई रोगों तथा प्रदूषण आदि की समस्या से निजात पाने के लिए। आयुर्वेदिक दवाइयों तथा नुस्खों का प्रचलन काफी तेज होता जा रहा है। एवं बाजारों में इसकी मांग भी काफी है इस प्रकार की कृषि से एक लाभ तो यह है कि कम निवेश पर लंबे वक्त के लिए कमाई सुनिश्चित हो जाती है। एवं इसका दूसरा लाभ या महत्व है कि इसके लिए आपको अत्यधिक भूमि की भी आवश्यकता नहीं पड़ती है। एवं यदि अपनी भूमि नहीं भी हो तो कई कंपनियों द्वारा औषधीय पौधों की कृषि के लिए कॉन्ट्रैक्ट पर भूमि प्रदान की जाती है। आप कंपनियों की सहायता लेकर कॉन्ट्रैक्ट पर कृषि प्रारंभ कर सकते हैं। मधुमेह या डायबिटीज की बढ़ती समस्या ने इसके महत्व को और भी अधिक बढ़ा दिया है। जिन लोगों को शुगर की परेशानी के कारण चीनी या शक्कर का सेवन बंद करना पड़ा है। उन लोगों के लिए स्टीविया एक बड़ा ही अच्छा विकल्प सिद्ध हो रहा है। और इसलिए इसकी मांग में लगातार वृद्धि होती जा रही है। भारत के कई राज्यों में इसकी कृषि की जा रही है। कर्नाटक के बेंगलुरु ,मध्य प्रदेश के पुणे रायपुर आदि कई स्थानों पर इसकी कृषि की जा रही है। तथा भारत के अतिरिक्त कई देशों जैसे अमेरिका ,जापान तथा कोरिया आदि देशों में भी इसकी कृषि की जाती है। मधुमेह के रोगियों के लिए उपयोगी होने के साथ-साथ यह ब्लड प्रेशर, मसूड़ों के रोग तथा चर्म रोगों के लिए बड़ा ही उपयोगी औषधि है।

स्टीविया के कुछ प्रकार निम्नलिखित हैं (Types of Stevia) 

स्टीविया कई प्रकार का होता है जिनमें से कुछ मुख्य प्रकार के विषय में हम आपको यह बता रहे हैं।

1. SRB(123):-स्टीविया की यह एक ऐसी वैरायटी है। जिसे दक्षिण भारत के पठारी भागों में भली-भांति उपजाया जा सकता है। किंतु इसकी प्रथम कृषि स्थली पेरूग्वे है। इसमें ग्लूकोज की मात्रा लगभग 9 से 12% तक होती है। एवं 1 वर्ष में लगभग 5 बार इसकी कटाई की जाती है।

2. SRB(512):-स्टीविया के इस प्रकार में भी ग्लूकोज लगभग 9 से 12% तक पाया जाता है। एवं 1 वर्ष में लगभग 5 कटाईयां की जाती है। किंतु इसे उत्तर भारत में उगाया जाना अधिक लाभ पूर्ण सिद्ध होगा।

3. SRB (128):-स्टीविया की वैरायटीयों में से यह सबसे अच्छी वैरायटी मानी गई है। तथा इसमें लगभग 12% तक ग्लूकोज की मात्रा पाई गई है। इसके अतिरिक्त इसे भारत के उत्तरी तथा दक्षिणी दोनों प्रांतों में सरलता से लगाया जा सकता है।

पौधों को खरीदने से पूर्व रखें इन बातों का ख्याल (Stevia Plant Buying Tips)

1. पौधे खरीदने से पूर्व यह अवश्य जान लें की जिन पौधों को आप खरीद रहे हैं। वह कलम काटकर तैयार किए गए हैं अथवा टिश्यू कल्चर विधि द्वारा। क्योंकि टिश्यू कल्चर विधि के द्वारा तैयार किए गए पौधे अधिक प्रभावी होते हैं। एवं इस विधि से तैयार किए गए ।पौधों को अक्टूबर से नवंबर मास के अंतर्गत 30 गुना 30 सेंटीमीटर के अंतर पर लगा सकते हैं।

2. तथा आप जिस जलवायु में कृषि करने जा रहे हैं उसके अनुकूल ही पौधे लेने चाहिए।

3. एवं इसके अतिरिक्त आपको थोक सामग्री प्रदान करने वाले से आपको स्टीविया साइड के मात्रा का आश्वासन या गारंटी लेना है।

खरपतवारों से फसल की रक्षा

स्टीविया के खेतों में यदि किसी प्रकार के खरपतवार उग जाए तो उन्हें उखाड़ देना चाहिए। तथा फसलों की साफ सफाई का ख्याल रखना चाहिए। एवं उपरोक्त बताए अनुसार समय-समय पर सिंचाई भी करते रहना चाहिए। किसी प्रकार के रासायनिक खरपतवार नाशक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। एवं इसकी कृषि में सामान्यतः देखा गया है कि किसी प्रकार के रोग या कीट पतंग फसलों को प्रभावित नहीं करते हैं। किंतु कई बार मिट्टी में बोरोन की मात्रा कम होने से लीफ स्पॉट नमक रोग देखा गया है। ऐसे में यदि गौ मूत्र तथा नीम के तेल का छिड़काव नियमित रूप से किया जाए तो। फसलों में ऐसे रोग लगने से बचाव किया जा सकता है। अथवा बोरेक्स के छिड़काव से भी फसलों में रोग होने से बचाया जा सकता है।

किस प्रकार पूर्ण होगा कटाई का कार्य

फसलों की बुवाई के 4 माह पश्चात इसकी कटाई कर लेना चाहिए अर्थात इसके पत्तियों को तोड़ लेना चाहिए। प्रथम बार में तो इसे चार मास पर तोड़ा जाता है। इसके पश्चात अगली बार से 3 मास पर तोड़ा जाना प्रारंभ हो जाता है। फसल पर फूल आने से पूर्व ही पतियों को तोड़ लेना चाहिए। क्योंकि जब इसमें फूल आने लगता है तो इसकी स्टीविया साइड की मात्रा में कमी आनी प्रारंभ हो जाती है। जिससे इसके मूल्य में बड़ी कमी आती है।

इसे बेचने से पूर्व करनी पड़ती है इस प्रकार से तैयारी

पत्तियों को तोड़ लेने के पश्चात 3 से 4 दिनों तक ठंडे छांव में उसे सुखा लेना चाहिए। ताकि पत्तियों की नमी समाप्त हो जाए। उसके पश्चात वायु मुक्त डब्बों में अथवा पॉली बैग्स में भरकर उसे बेचने के लिए तैयार किया जाता है। इसके अलावा भी इसे कई प्रकार से बेचने का कार्य किया जाता है। इसके पाउडर बनाकर बेचने पर सूखे पत्ते बेजने के मुकाबले अधिक लाभ कमाए जा सकते हैं। अथवा इसका रस निकालकर भी बेचा जा सकता है।

निष्कर्ष – Business Stevia in Hindi

दोस्तों आज की पोस्ट म एहामने आपको एक और गांव में पैसे कमाने के तरीके की जानकारी दी है | आज की पोस्ट में आपने जाना की मीठी तुलसी यानि की स्टीविया की खेती करके आप कैसे लाखों रुपये कमा सकते हैं |

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Jitendra Arora
Jitendra Arora

नमस्कार दोस्तों, मेरा नाम जितेन्द्र अरोरा है. और में पैसे कैसे कमायें ब्लॉग का फाउंडर हूँ. मुझे कंप्यूटर और इन्टरनेट से जुड़े हुए 20 साल से ज्यादा हो गए हैं. मैंने कंप्यूटर हार्डवेयर और नेटवर्किंग में डिप्लोमा किया हुआ है. मैंने अपने 23 साल के अनुभव से बहुत कुछ सीखा है. और मैं चाहता हूँ कि अब अपना अनुभव लोगों के साथ शेयर किया जाए. इसीलिए इस ब्लॉग के माध्यम से आपको सारी जानकारी देनी की कोशिश करता हूँ. मेरा उद्देश्य हैं की लोग हमारे ब्लॉग से सीखकर अपने पैरों पर खड़े हो सके. इस ब्लॉग में सभी जानकारी हिंदी में दी जाती है. जिससे आप सभी अपनी भाषा में सीख सके.

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